Waqt kabhi kisi ka ni hota
ये वक़्त भी क्या अजीब खेल खेलता है यारो,
ये कभी अपना होता है तो कभी पराया होता है,
ये वक़्त है ये ना किसी का हुआ था और ना किसी का होता है,
ये वक़्त है जो बिना रुके बिना थके चलता ही जाता है,
ये वक़्त है यारो ये सब कुछ सिखाता है,
ये वक़्त है जो बचपन से बुढ़ापे का सफर कराता है,
ये वक़्त है जो अमीर को गरीबी और गरीब को अमीरी दिखाता है,
अपने वक़्त पर इतना गुरूर न कर ऐ "रजत" ये वक़्त ही है जो आदमी को उसकी औकाद बताता है।
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