Beet gye wo pal bhi jinka besabri se intzaar tha

बीत गए वो पल भी जिनका बेसबरी से इंतज़ार था,
माँ बाप को अपने बच्चो के घर लौटने का इंतज़ार था,
तो बच्चो को अपने दफ्तर से छुट्टी मिलने का इंतज़ार था,
किसी को पटरी पर दौड़ती गाड़ी की सिटी का इंतज़ार था,
तो किसी को अपने घर पहुँच कर अपने यारो से मिलने का इंतज़ार था,
किसी को माँ के हाथ के पकवानों का स्वाद चखने का इंतज़ार था,
तो किसी को अपने परिवार के साथ मिलकर त्योहार मनाने का इंतज़ार था,
बीत गए वो पल भी जिनका बेसबरी इंतज़ार था।

-thesaurus_of_thoughts

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Poetry on feeling after festivals
After festival feeling

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